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Rahat Indori Best Shayari that will Melt your Heart

राहत कुरैशी का जन्म 01 जनवरी 1950 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। बाद में उन्हें राहत इंदौरी के नाम से जाना गया क्योंकि वह इंदौर शहर, एमपी से ताल्लुक रखते हैं। हिंदी में राहत इंदौरी शायरी के बेहतरीन संग्रह के साथ आप यहां विस्मित हो जाएंगे।
राहत इंदौरी ने अपनी स्कूली शिक्षा नूतन स्कूल, इंदौर शहर से और स्नातक इस्लामिया करीमिया कॉलेज, इंदौर से पूरा किया। उन्होंने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल एमपी से स्वर्ण पदक के साथ एमए (मास्टर ऑफ आर्ट) पास किया। 1985 में उन्होंने भोज विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि से सम्मानित किया। उनकी थीसिस का शीर्षक उर्दू मैं मुशायरा था।
उनके दोहे साल 2020 में सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर वायरल हुए थे। यह दोहे “बुलाती है मगर जाने का नहीं” और “किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है” थे। वह हिंदी शायरी, ग़ज़ल और उर्दू शायरी के बादशाह थे।
निम्नलिखित फिल्मों में उनका अतुलनीय योगदान:- मैं तेरा आशिक, जनम, खुद्दार, नराज, याराना, हमेशा, हत्या, मुन्ना भाई एमबीबीएस, मिशन कश्मीर, मीनाक्षी, करीब, इश्क, बेगम जान, घटक गीत सदाबहार हैं।

हिमायत

रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं…
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है.

अमानत

जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए
दूर हम कितने दिन से हैं, ये कभी गौर किया फिर न कहना जो अमानत में खयानत हो जाए||

चिंगारी

आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो राह के पत्थर से बढ के,
कुछ नहीं हैं मंजिलें रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो||

आंधी

सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें
शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें||

ताजमहल

हर एक हर्फ़ का अंदाज़ बदल रखा हैं आज से हमने तेरा नाम ग़ज़ल रखा हैं
मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया मेरे कमरे में भी एक “ताजमहल” रखा हैं||

कबूल

जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं जो लोग भूल नहीं करते,
भूल करते हैं अगर अनारकली हैं सबब बगावत का सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं

हिजरत

खाक से बड़कर कोई दौलत नहीं होती,
छोटी-मोटी बात पे हिजरत नहीं होती,
पहले दीप जले तो चर्चे होते थे,
अब शहर जले तो हैरत नहीं होती।

ख्वाब

हौसले ज़िंदगी के देखते हैं,
चलिये कुछ रोज जी के देखते हैं,
नींद पिछली सदी की जख्मी है,
ख्वाब अगली सदी के देखते हैं।

खयाल

छु गया जब कभी खयाल तेरा,
दिल मेरा देर तक धड़कता राहा,
कल तेरा जिक्र छिड़ गया था घर में,
और घर देर तक महकता राहा।

कलन्दर

गुलाब ख़्वाब दवा ज़हर जाम क्या-क्या है
मैं आ गया हूँ बता इन्तज़ाम क्या-क्या है
फक़ीर शाख़ कलन्दर इमाम क्या-क्या है
तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या है

Amey Zilpelwar

Hi i am amey, i have done my post graduation in MBA marketing. blogging is different kind of addiction that i have.

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